
New delhi
ऑस्ट्रेलिया (Australia) के New South Wales) के जंगलों में लगी आग (Fire) अब बड़े ही भयानक स्तर पर पहुंच चुकी है। साल 2019 के सितंबर से लगी आग की चपेट में आने से दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं।
इससे जंगल के करीब 50 करोड़ जानवरों की भी मौत हो चुकी है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि जंगली जानवर पानी की तलाश में शहर की तरफ भाग रहे हैं। इसकी वजह से अब दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के अनंगु पीतजंतजतारा यनकुनितज्जतजरा लैंड्स (Anangu Pitjantjatjara Yankunytjatjara lands, APY) के आदिवासियों के नेता ने 10 हजार जंगली ऊंटों को मारने का आदेश दिया है।
जानकारी मिली है कि दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में हेलीकॉप्टर से कुछ प्रोफेशनल शूटर इस काम को अंजाम देने में जुट गए हैं। बताया जा रहा है 10,000 से ज्यादा जंगली ऊंटों को मार गिराएंगे, जिनमें से करीब 3000 को मार भी दिया गया है।
अंग्रेजी अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लोगों की शिकायत थी कि जंगल में आग लगने से जंगली जानवर पानी के लिए घरों में घुस रहे हैं।
शहर के लोगों की शिकायत के बाद आदिवासी नेताओं ने 10 हजार ऊंटों को मारने का आदेश जारी किया है। इन नेताओं ने चिंता जाहिर की है कि ये ऊंट एक साल में एक टन carbon oxide के बराबर methane का उत्सर्जन करते हैं, जिसके कारण global warming पर असर दिखाई दे रहा है।
APY के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य मारिया बेकर के अनुसार आग लगने के कारण जानवर पानी पीने के लिए अब घरों में घुसने लगे हैं। ऊंट तो पानी के लिए बड़े पैमाने पर हाहाकार मचा रहा है।
वह घरों में लगे एयरकंडीशनरों के जरिए पानी पीने की कोशिश कर रहे हैं। राष्ट्रीय ऊंट प्रबंधन ने दावा किया है कि जंगली ऊंट की आबादी हर 9 साल में दोगुनी हो जाती है। ऊंटों को पानी की काफी जरूरत होती है, जिसे पूरा करना नामुमकिन है।
वैज्ञानिकों का अलग दावा है
Carbon खेती के विशेषज्ञ रेगेनोको के CEO टिम मूर ने कहा कि ये जानवर हर साल एक टन carbon dioxide के बराबर methane का उत्सर्जन कर रहे हैं।
यह उत्सर्जन सड़कों पर चलने वाली 4 लाख कारों के बराबर है। ऐसे में 10 हज़ार जंगली ऊंटों को मार देना ही सही है। इस कार्य को हेलीकॉप्टरों के माध्यम से युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।