
-हर व्यक्ति के दिमाग मे यही सवाल: आखिर क्यों नाराज हैं कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा?
-आज कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी का चौथा दिन पूरा हो चुका है।
रामगोपाल जाट
राजस्थान की सरकार में भारी सियासत में तूफान आया हुआ है। अशोक गहलोत की सरकार कथित तौर पर भारी संकट में है। सरकार दो धड़ों में बंटी हुई है। एक धड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैंडल कर रहे हैं, दूसरे की अगुवाई उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कर रहे हैं।
सचिन पायलट तो सॉफ्ट प्रतिपक्ष बना है गहलोत के लिए
हालांकि, उपमुख्यमंत्री और 2014 से राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष बने हुए सचिन पायलट को तभी से अगला मुख्यमंत्री माना जा रहा था, लेकिन जिस तरह से दिसम्बर 2018 में गुर्जर समाज ने एकतरफा वोटिंग की गई, बल्कि समाज यह मानकर चल रहा था कि पायलट को मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक पायेगा और फिर भी सीएम नहीं बन पाए, वो टीस बहुत सताती है।

अब भी कोई सहमति नहीं बनी
करीब डेढ़ साल से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच लंबी अदावत चल रही है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि अशोक गहलोत को 1998 से अबतक इतने लंबे समय तक पायलट के अलावा कोई चुनौती नहीं दे पाया है।
खैर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच डेढ़ साल तो प्रत्यक्ष और 6 साल से अप्रत्यक्ष रूप से लड़ाई जारी है। इसके बाद भी दोनों के बीच समझौता नहीं हो पाया है।

बड़ा सवाल: अभी तक बाड़ाबंदी में एक बार भी नहीं पहुंचे रमेश मीणा
ताज़ा समाचारों की बात की जाए तो 3 राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को होने वाले मतदान से ठीक 10 दिन पहले ही अशोक गहलोत सरकार ने अपने सभी मंत्रियों-विधायकों को दिल्ली रोड पर होटल शिव विलास में बंदी बना दिया।
उसके दो दिन बाद सभी को उसके पास ही स्थित जेडब्ल्यू मेरियट होटल में शिफ्ट कर दिया गया। बीते दो दिन में सरकार या संगठन की तरफ से होटल बदलने का कोई साफ कारण नहीं बताया गया है। किन्तु तमाम मंत्रियों-विधायकों की उपस्थिति के बीच खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा वहां नहीं हैं।
कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, राष्ट्रीय प्रवक्ता और सह प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा समेत तकरीबन सभी आला नेताओं के द्वारा मंत्री रमेश मीणा को राजी करने के लिए प्रयास किये गए हैं।
इसके बाद भी रमेश मीणा ने बाड़ाबंदी में जाना मुनासिब नहीं समझा है। बताया जा रहा है कि रमेश मीणा की नाराजगी जनता के हित में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही है, जिनको हटाने के लिए मंत्री रमेश मीणा अड़ गए हैं।
रमेश मीणा के दबंगता और साफगोई का उदाहरण तब देखने को मिला जब राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा बांरा में रैली के दौरान मंत्री रमेश मीणा करौली में रैली कर रहे थे और किसी की परवाह नहीं की। उन्होंने सीधा जवाब देकर इसका कारण बता दिया, जिसका अध्यक्ष राहुल गांधी के पास कोई जवाब नहीं था।
AICC महासचिव वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला ने भी की मीणा को मनाने की कोशिश नाकाम
मंत्री रमेश मीणा के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस पार्टी के महासचिव वेणुगोपाल के अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा समेत अनेक केंद्रीय नेताओं के द्वारा मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन इसके बावजूद रमेश मीणा अभी तक मानने को तैयार नहीं हैं।

अभी तक नहीं मिले मीणा की तरफ से संकेत
तमाम तरह की संभावनाओं और मान-मनोवल के बावजूद खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री और 2008 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आने के बाद अपने 5 साथियों के साथ कांग्रेस में शामिल होने वाले मंत्री रमेश मीणा किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं हैं।
वसुंधरा राजे सरकार का एक भी भ्रष्टाचार नहीं खोल पाई सरकार
वसुंधरा राजे सरकार के कथित भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के द्वारा जब रमेश मीणा, बीडी कल्ला और शांति धारीवाल की एक कमेटी भंग करके जांच विभागों के हवाले कर दी गई, तब भी मंत्री रमेश मीणा ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी।
इसके बाद मंत्रियों के जिलों में दौरे निर्धारित हुए और मंत्री रमेश मीणा एकमात्र ऐसे कैबिनेट मंत्री थे, जिन्होंने राज्य के 14 जिलों का दौरा किया। विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों की नाकामी को जग जाहिर करते हुए कईयों को सस्पेंड करने का काम किया तो राज्य की अशोक गहलोत सरकार हिल गई।
इसको लेकर जिलों के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के द्वारा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मंत्री रमेश मीणा की शिकायत की गई और आखिरी सरकार ने मंत्रियों के जिलों के दौरे निरस्त कर दिए।
इसके बाद विधायकों की मांग पर कांग्रेस पार्टी ने मुख्यालय में सरकार के मंत्रियों की जन सुनवाई शुरू की तो वहां पर मंत्री परसादी लाल मीणा खुद पीड़ित बनकर पहुंचे और एक थाना अधिकारी को सस्पेंड किया गया। बाद में मंत्रियों की जनसुनवाई भी बंद कर दी गई।

करौली से विधायक लाखन मीणा और पीआर मीणा का बढ़ता कद
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे से माने जाने वाले मंत्री रमेश मीणा काफी दमखम रखते हैं। अपनी ईमानदारी और दबंगता के चलते राज्य सरकार में बड़ा कद रखते हैं, लेकिन जिस तरह से स्थानीय स्तर पर दो दूसरे नेताओं के द्वारा उनको बाईपास करने का प्रयास किया जा रहा है, वह भी मंत्री रमेश मीणा की नाराजगी का एक कारण माना जा रहा है।
कांग्रेस के विधायक लाखन मीणा और पीआर मीणा, दोनों ही को मुख्यमंत्री गहलोत खेमे के माने जाते हैं। इन दिनों दोनों का सरकार में पूरा दखल है, तो जिले की हिंडौन सीट से विधायक भरोसी लाल सरकार में मंत्री हैं।
हालांकि, पीआर मीणा ने कई बार खुलकर अशोक गहलोत सरकार को अपने बयानों से घेरने का काम किया है। कई बार उनको सचिन पायलट के खेमे से भी माना जाता है। यह भी रमेश मीणा की नाराजगी में एक कारण माना जा रहा है।

अंततः असल कारण भ्रष्टाचार और सचिन पायलट की हैं
जानकार सूत्रों की मानें तो मंत्री रमेश मीणा की इस तरह कांग्रेस अलकमान को खुली चुनौती देने का सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही है। कहा जाता है कि डेढ़ साल पूरा होने के बावजूद वसुंधरा राजे सरकार का एक भी भ्रष्टाचार उजागर नहीं करने के कारण रमेश मीणा अशोक गहलोत से बहुत नाराज हैं।
इस बात को गाहे-बगाहे मंत्री मीणा ने स्पष्ट रूप से कहा भी है कि जो अशोक गहलोत सरकार, जो कभी वसुंधरा राजे सरकार के कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने और आरोपियों को सजा दिलाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी, वो ही सरकार आज भी वसुंधरा राजे के भ्रष्टाचारों पर पर्दा डालने का ही काम किया है।

फिलहाल सब मौज-मस्ती कर रहे हैं
इधर, होटल में बंद मंत्रियों और विधायकों को आज 5 दिन पूरे हो चुके हैं। अधिकांश मंत्री और विधायक होटल में फुल मौज मस्ती कर रहे हैं। आज भी विधायकों के योग करने, फुटबॉल खेलने और क्रिकेट खेलने की फोटो और वीडियो वायरल हुए हैं। रविवार को विधायकों और मंत्रियों ने गांधी फिल्म भी देखी है।
गहलोत की सांसें क्यों फूली हैं?
राज्य में 19 जून को 3 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है। संख्याबल के आधार पर देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी के पास 107 विधायक हैं, जबकि 13 विधायक निर्दलीय उनको समर्थन कर रहे हैं। दो विधायक बीटीपी के हैं और दो विधायक माकपा के भी कांग्रेस के समर्थन में हैं।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास 72 विधायक हैं और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक भी उनको समर्थन दे रहे हैं। इस तरह भाजपा के पास 75 वोट होते हैं।
2 उम्मीदवारों के लिए कांग्रेस को केवल 102 विधायकों का समर्थन चाहिए, जबकि कांग्रेस पार्टी के पास उनके दावे के अनुसार 125 विधायकों का समर्थन हासिल है।
भारतीय जनता पार्टी के पास एक उम्मीदवार के 51 वोटों के अलावा 24 वोट अतिरिक्त हैं। बावजूद इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने दूसरा उम्मीदवार उतारकर अशोक गहलोत की जान सांसत में ला दी है।
दूसरी तरफ रमेश मीणा की नाराजगी के चलते अशोक गहलोत सरकार बुरी तरह से सकते में है और तमाम विधायकों की एक होटल में बंदी होने के बावजूद रमेश मीणा को मनाने का भरकस प्रयास किया जा रहा है।