
-लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर सरकारी खजाना भरने में लगी है कांगे्रस सरकार, पहले शराब और अब तम्बाकू उत्पादों की बिक्री से हटाई रोक
-केंद्र पर आरोप लगाने और पैकेज मांगने की बजाय खुद प्रदेश की जनता के लिए घोषित करे आर्थिक पैकेज
नेशनल दुनिया, जयपुर।
विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राजस्थान सरकार कोरोना से जूझने की बजाय लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर सरकारी खजाना भरने में लगी हुई है।
पहले शराब की बिक्री से रोक हटाई, तो अब तम्बाकू उत्पाद, बीड़ी, सिगरेट और गुटखे से रोक हटा दी है।
मंगलवार को अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए देवनानी ने कहा कि आखिर राजस्थान सरकार जनता से क्या चाहती है, यह आज तक समझ में नहीं आ रहा है।

जब यह अच्छी तरह पता है कि शराब के सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, फिर भी आर्थिक तंगी की दुहाई देकर शराब बिक्री से रोक हटाई।
इसी तरह सरकार एक तरफ तो कहती है कि थूकने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता है, इसीलिए अभी तक तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई हुई थी।
लेकिन अब सरकारी खजाना भरने के लिए इन उत्पादों की बिक्री से भी रोक हटा दी है।
जब थूकने से संक्रमण फैलता है, तो सरकार को अभी इन उत्पादों की बिक्री से रोक हटानी ही नहीं चाहिए थी, क्योंकि तम्बाकू, पान व गुटखा खाने वाले और बीड़ी सिगरेट पीने वाले थूके बिना रहेंगे नहीं।
इससे कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति से लगता नहीं है कि वह जनता के हितों और स्वास्थ्य की चिंता करती है।
देवनानी ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस आए दिन केंद्र सरकार से आर्थिक पैकेज देने की मांग करती है, जबकि हकीकत यह है कि केंद्र सरकार पूरे देश के लिए 20 लाख करोड़ रूपए का आर्थिक पैकेज पहले ही घोषित कर चुकी है।
इसलिए राजस्थान या किसी राज्य के लिए अलग से पैकेज देने की बात बेमानी है। राजस्थान सरकार केंद्र से पैकेज मांगती है, लेकिन पहले वह खुद यह बताए कि उसने अपने प्रदेश की जनता के हितों और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अभी तक क्या किया है।
वह केंद्र से पैकेज मांगने की बजाय खुद अपनी तरफ से पैकेज घोषित क्यों नहीं करती है जिस प्रकार कर्नाटक व यूपी सरकार ने किया है। केंद्र से पैकेज मांगना केवल राजनीति करने के अलावा कुछ भी नहीं है।
देवनानी ने कहा कि राजस्थान सरकार को एपीएल राशन कार्डधारियों को सस्ती दर पर गेहूं व अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध करानी चाहिए।
कर्नाटक की तर्ज पर लोगों की सुविधा के लिए योजनाएं चलानी चाहिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य मंत्रियों को केंद्र पर आरोप लगाने की बजाय अपनी सरकार के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए और उसमें सुधार करना चाहिए।