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कोरोना की वैश्विक महामारी में एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नागरिको की सुरक्षा हेतु देश में लॉक डाउन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जयपुर की जयश्री पेरिवाल हाई स्कूल अभिभावकों को किताबे खरीदने के लिए बाध्य कर रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल की ओर से हमको किताबें क्रय करने और उनको होम डिलीवरी का ऑप्शन भी दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, अपितु बच्चों को घर पर रह कर एक अप्रैल से ऑनलाइन क्लासेज हेतु भी बाध्य किया जा रहा है।

अपनी वेबसाइट पर भी स्कूल ने दिशा निर्देश अपलोड किए हैं, जिसमें ऑनलाइन क्लासेज के लिए किताबे खरीदना आवश्यक भी बताई गई है।
इसके साथ ही ऑनलाइन क्लासेज के लिए लैपटॉप/डेस्कटॉप के साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी आवश्यकता भी बताई गई है, जो सबके लिए उपलब्ध करवा पाना मुमकिन नहीं है।
चूँकि अभी अभिभावक भी सरकार के निर्देशानुसार वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। ऐसे में घर में उपलब्ध आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर उनको अपने कार्यो हेतु भी आवश्यक रहते है।
परिजनों का कहना है कि जिन अभिभावकों के 2 या अधिक बच्चे हैं, उनके लिए उतने ही लैपटॉप/डेस्कटॉप उपलब्ध करवा पाना संभव नहीं है।
इसके साथ ही 5 से 6 घंटे के लिए बच्चों को कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिठाना उनके स्वास्थ्य के लिए भी नुकसान दायक है।

इस गंभीर समस्या में, देश जहा आर्थिक नुकसान को नजरअंदाज करते हुए नागरिकों के जीवन को सुरक्षित करने में लगा है, वहीं दूसरी ओर ये स्कूल अपने आर्थिक हित के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
सवाल यह है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति किताबे होम डिलीवर करने आएगा तो क्या यह अभिभावकों और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं है?
सवाल यह भी है कि क्या इस कठिन परिस्थिति में ऑनलाइन क्लासेज की आवश्यकता इतना ज़्यादा है कि उसके लिए किसी की जान को खतरे में डाल दें ?
राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने भी फिलहाल अग्रिम आदेश तक सभी स्कूलों की गतिविधियां प्रतिबंधित कर रखी हैं। बावजूद इसके जयश्री पेरिवाल स्कूल की यह हरकत समझ से परे है।