
मदन कलाल जयपुर से
कई मोक्षधाम पर लकड़ियों का स्टॉक खत्म हो रहा। ना चाहते हुए भी शवदाह की तैयारियां पूरी रखनी होगी। मोक्षधाम की पीड़ा यह है कि बिगड़े हालातों में लकड़ियां नहीं मिल रही हैं। सिर्फ 15 बॉडी के लिए ही यहां इंतजाम हैं। इसके बाद ताला लगाने की नौबत हो जाएगी। हो सकता है प्रदेश और देश के कई मोक्षधाम पर हालात ऐसे ही हों।
कोरोना वायरस के चलते भयावह हालातों के बीच अछूते इस बेहद चिंताजनक, संवेदनशील, मानवीय मुद्दे पर मोक्ष धाम से ये विशेष रिपोर्ट…

सवाल—क्या स्थिति है अभी मोक्षधाम में लकड़ियों की, कितने दिन और चल सकती है?
प्रेम चंदानी— लकड़ियों केवल 15 शव जलाने की बची है, रोजाना यहां पर तीन से चार बॉडी आती हैं। स्थिति बेहद विकट है और प्रशासन को भी इस बात से अवगत करवाया गया है। स्थिति यह है कि ठेकेदारों ने अपनी समस्या बताई है, ठेकेदारों का कहना है कि पुलिस लकड़ियों की गाड़ियां आने ही नहीं दे रहे हैं।

सवाल—क्या ताला लगाने की नौबत हो जाएगी?
प्रेम चंदानी— बिलकुल, जिस तरह के हालात हैं और लकड़ियां खत्म हो रही है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में अगर लकड़ियां नहीं आईं तो शमशान घाट के ताला लगाना ही होगा।

सवाल—आप इस वक्त में क्या सावधानी रखते हैं औ क्या क्या निर्देश देते हैं इस नाजुक वक्त् में, जब देश और दुनिया कोरोना के कहर से कांपी हुई है?
प्रेम चंदानी— देखिए यहां पर पहले खूब आदमी आते थे, कभी 100, 150, 50 से अधिक लोग शव का दाह संस्कार करने आते थे, लेकिन मैंने सबको कहा है कि अधिक से अधिक 15 या 20 लोगों से अधिक नहीं आएं, जो आते हैं उनको भी दूर बिठा देता हूं। मैं खुद पूरी तैयारी रखता हूं और किसी के नजदीक नहीं जाता हूं।