
जयपुर। राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन एक बार फिर से शुरू होने जा रहा है। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 1 नवंबर से प्रदेश भर में चक्का जाम का ऐलान कर दिया है। हालांकि, राज्य सरकार ने तीन मांगों पर सहमति जताई है किंतु गुर्जर समाज ने उन सभी मांगों को स्वीकार कर दिया है।
ऐसे में 1 नवंबर से निर्धारित गुर्जर आरक्षण आंदोलन के तहत प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर चक्का जाम करने का प्लान गुर्जर समाज के द्वारा बनाया जा रहा है।
दूसरी तरफ बिहार और मध्य प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में स्टार प्रचारक बने हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के भी गुर्जर आरक्षण आंदोलन में शामिल होने या नहीं होने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।
राजनीतिक विचारकों का कहना है कि इस आरक्षण आंदोलन के पीछे कहीं न कहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे की तरफ से काम किया जा रहा है, क्योंकि सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत का गुट काफी दिनों से निपटाने की फिराक में है।
बताया जा रहा है कि सचिन पायलट अगर गुर्जर आरक्षण आंदोलन में शामिल होते हैं तो अशोक गहलोत गुट की तरफ से कांग्रेस आलाकमान के समक्ष सचिन पायलट को सरकार के खिलाफ होने का सबूत देने का मौका मिल जाएगा।
और अगर सचिन पायलट इस आंदोलन में शामिल नहीं होते हैं तो गुर्जर समाज में यह मैसेज देने के लिए प्रयास किया जाएगा कि सचिन पायलट गुर्जर समाज के साथ नहीं है, जिस समाज ने पायलट को इतना बड़ा राजनीतिक कद दिया उसी का साथ छोड़ दिया है।
सरकार की तरफ से चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के द्वारा गुर्जर समाज के नेताओं का आमंत्रित किया गया और तीन मांगों को स्वीकार किया गया, लेकिन कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है।
उनका कहना है कि जब तक गुर्जर समाज को मिले 5 फीसदी आरक्षण को एमबीसी के आरक्षण के तहत नवीं अनुसूची में नहीं डाला जाएगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।