नई दिल्ली
पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग लड़ रही है। भारत में भी अब तक 5200 से अधिक मामले कोरोनावायरस के पॉजिटिव मिले जबकि 134 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में महाराष्ट्र सर्वाधिक प्रभावित है, जहां पर करीब 1100 मरीज सामने आ चुके हैं और मुंबई में कम्युनिटी स्प्रीड की बात कही जा रही है। मुंबई में महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर तक भी कोरोनावायरस पहुंच चुका है। उनके निवास मातोश्री के बाहर चाय की दुकान लगाने वाले एक व्यक्ति को भी कोविड-19 से पॉजिटिव पाया गया है।
संवैधानिक परंपराओं के अनुसार देना होगा इस्तीफा
कोविड-19 की इस जंग के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर भी संकट खड़ा हो गया है। संविधान की धारा 164 (4) के तहत किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को संसद अथवा विधानसभा का सदस्य होना अनिवार्य है।
यदि कोई व्यक्ति दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य नहीं होता है, तो शपथ ग्रहण के 6 महीने के भीतर उसको सदस्यता लेनी जरूरी होती है। यदि 6 महीने के भीतर भी सदस्यता नहीं लेता है, तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होता है।
संविधान की धारा 164 के तहत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री काल का 6 महीने का समय 28 मई को समाप्त हो रहा है। उन्होंने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
6 महीने के भीतर बन्ना होता है किसी भी सदन का सदस्य
देशभर में कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी के चलते केंद्रीय चुनाव आयोग ने सभी राज्य विधानसभाओं विधान मंडलों राज्यसभा के चुनाव फिलहाल स्थगित कर दिए हैं, इसलिए महाराष्ट्र में फिलहाल विधानसभा या विधानमंडल के चुनाव होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
अगर उद्धव ठाकरे को चुनाव लड़ना है तो उसके लिए पहले उनकी पार्टी के किसी एक विधायक को इस्तीफा देना होगा। इसके लिए भी 28 मई से कम से कम 45 दिन पहले चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी करनी होती है, जिसकी समय सीमा बीतने की ओर है।
विधान मंडल के सदस्य बन सकते हैं, किंतु
इसके अलावा महाराष्ट्र में विधानमंडल का भी प्रावधान है अगर उनको विधान परिषद का सदस्य बनना है, तो इसके लिए भी 28 मई से पहले उनको निर्वाचित होना जरूरी है। हालांकि महाराष्ट्र में 9 सीटों पर 24 अप्रैल को विधानमंडल के चुनाव होने हैं, किंतु केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा सभी चुनाव स्थगित किए जाने के कारण यह चुनाव भी नहीं हो रहे हैं। विधानमंडल के चुनाव के लिए भी कम से कम 15 दिन पहले अधिसूचना जारी होनी आवश्यक है।
भगत सिंह कोश्यारी की दया पर टिकी है मुख्यमंत्री की कुर्सी
ऐसे समय में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की दया पर उद्धव ठाकरे की कुर्सी टिकी हुई है। संवैधानिक अधिकारों के तहत राज्यपाल विधान मंडल में 2 सदस्यों का निर्वाचन कर सकते हैं। ऐसे में राज्य सरकार उद्धव ठाकरे के निर्वाचन हेतु राज्यपाल से आग्रह कर सकती है, जिसका निर्णय लेना भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है।
दूसरा विकल्प भी काम में लिया जा सकता है, लेकिन इससे सरकार गिरने का खतरा है
संवैधानिक परंपराओं के मुताबिक यदि मुख्यमंत्री किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है तो 6 महीने बाद उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है और उसको इस्तीफा देना पड़ता है। ऐसे में महाराष्ट्र में 28 मई से पहले उद्धव ठाकरे को इस्तीफा दिलाकर उनको फिर से मुख्यमंत्री के पद के लिए शपथ दिलाई जा सकती है, जिससे उनको 6 महीने का समय और मिल जाए।
किंतु यह रास्ता अपनाने से मुख्यमंत्री के इस्तीफे के कारण पूरी सरकार का ही इस्तीफा हो जाता है और उसके कारण नई सरकार का गठन करना होता है। यह रास्ता उद्धव ठाकरे सरकार के लिए संकट खड़ा कर सकता है और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की तरफ कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
भगत सिंह कोश्यारी की दया ही सब कुछ
संविधान विशेषज्ञों की मानें तो अब उद्धव ठाकरे के पास केवल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की दया के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। यदि कोश्यारी उनको विधान मंडल का सदस्य निर्वाचित करते हैं तो उद्धव ठाकरे की कुर्सी बच सकती है। वरना 28 मई तक उनका मुख्यमंत्री कार्यकाल खत्म होना तय है।