जयपुर।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने देशभर में 303 सीट जीतीं थीं, जबकि हरियाणा में भाजपा को इस बार 10 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 23 मई को आये परिणाम में भाजपा को हरियाणा की जनता ने प्रचंड़ समर्थन दिया था, लेकिन महज चार माह में ही लोगों ने धूल चटा दी।
इससे साफ जाहिर है कि यहां की सबसे बड़ी कौम, यानी जाट नरेंद्र मोदी के तो साथ हैं, किंतु मुख्यमंत्री खट्टर से खासे नाराज हैं। साल 2016 में जाट आंदोलन के वक्त बेवजह के केस लगाना और जाट समाज के युवाओं पर देशद्रोह की धाराओं में फसांने की कीमत आज खट्टर सरकार को चुकानी पड़ी है।
खट्टर सरकार ने बीते पांच साल के दौरान हरियाणा में वही किया, जो कांग्रेस बीते 71 साल से देश में कर रही है। तुष्टिकरण की राजनीति कर एक बार अपनी धाक तो जमाई जा सकती है, लेकिन लोगों के दिलों में राज नहीं किया जा सकता।
लोकतंत्र के सारे नियमों को धत्ता बताकर जो खट्टर सरकार जाट समाज को बीते कई बरसों से काम करती रही, उसी जाट समाज में आज 4 जगह बिखरे होने के बाद भी खट्टर सरकार को जमींदोज कर दिया।
परिणाम की संभावना के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खट्टर को दिल्ली बुला लिया है, और संभावना जताई जा रही है कि जेजेपी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनने का प्रलोभन देकर समर्थन लेने के लिये राजी करने के लिये शाह निर्देश दे सकते हैं।
मजेदार बात यह है कि जिस भाजपा को हरियाणा की जनता ने केवल 4 माह पहले ही प्रचूर मात्रा में समर्थन दिया था, उसी जनता ने खट्टर सरकार की जमीन खींच ली। अब तक नशे में चूर खट्टर को समझ ही नहीं आ रहा है कि जाट समाज के साथ उसके द्वारा किये गये दोहरे बर्ताव की कीमत चुकानी होगी।