
रोहतक। हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस प्रशासन के और अन्नदाता के बीच में भिड़ंत हो गई, जिसमें कई किसानों को चोटें आई हैं, जबकि कुछ पुलिसकर्मियों की भी चोटिल होने की सूचना है।
हरियाणा के पीपली अनाज मंडी में आंदोलन के लिए जा रहे थे। किसानों को पुलिस के द्वारा रोका गया और कोरोना की महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रैली रोकने का आग्रह किया लेकिन किसानों ने उसको मारने से इंकार कर दिया। जिसके बाद पुलिस द्वारा रैली जारी रखने की उनको अनुमति दे दी गई।
रैली के दौरान पुलिस और किसानों की भीड़ के बीच हंगामा हो गया। हंगामे को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई किसानों के सिर में हाथों में पैरों में और कई जगह गंभीर चोटें आई हैं।
किसानों ने कहा है कि 15 सितंबर तक अगर सरकार ने जारी किए गए तीनों अध्यादेश वापस नहीं लिए तो प्रदेश के प्रत्येक जिला स्तर पर धरना दिया जाएगा।
दरअसल पिछले दिनों ही सरकार के द्वारा कृषि सुधार का दावा करते हुए तीन अध्यादेश जारी किए गए थे, जिनको लेकर किसानों, व्यापारियों और मजदूरों में गहरा रोष है। इसी रोज को भुनाने के लिए विपक्षी दल कांग्रेस और वामपंथी संगठनों के द्वारा किसानों को उद्वेलित करने का काम किया गया है।
मोटे तौर पर देखा जाए तो तीनों अध्यक्षों का मजमून बहुत स्पष्ट है। पहले अध्यादेश में कहा गया है कि अब व्यापारी चाहे तो किसान से खेत में ही फसल खरीद सकता है, यानी किसान को मंडी आने की जरूरत नहीं है।
दूसरे अध्यादेश में व्यापारियों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक लिमिट को खत्म कर दिया गया है। अब आढ़तियों के द्वारा यदि अनाज, दालों और फल व सब्जियों का स्टोक किया जाता है तो गैरकानूनी नहीं होगा।
इसके साथ ही सरकार ने तीसरे अध्यादेश में एग्रीकल्चर कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए अनुमति जारी की है, यानी अगर कोई किसान किसी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके उसके लिए फसलों का उत्पादन करना चाहे तो वह कर सकता है।
आंदोलन में शामिल किसानों, कारोबारियों और मजदूरों का कहना है कि इससे सरकार मंडियों को खत्म करना चाहती है और एग्रीकल्चर को निजी हाथों में सौंपकर किसानों को कंपनियों के मजदूर बनाना चाहती है।
इधर सरकार का कहना है कि जो किसान अब तक अपने उत्पादन को मंडी ले जाने में सक्षम नहीं होता था, उसके घर पर आकर कारोबारी उसकी फसलों, अनाज, दालों को खरीद सकता है। इससे किसान को कहीं भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उसका उत्पादन घर बैठे ही बिक जाएगा।
आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक लिमिट खत्म करने के कारण कारोबारियों को कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था अधिक करनी होगी। साथ ही जो किसान कम भाव के कारण अपना उत्पादन नहीं भेज पाते थे, उनसे भी समय पर व्यापारियों द्वारा खरीद की जा सकेगी।
एग्रीकल्चर कॉन्ट्रैक्ट अधिनियम की वजह से रिलायंस फ्रेश जैसी बड़ी कंपनियां छोटे-बड़े किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करके उनके उत्पादन को फसल तैयार होने से पहले ही खरीदने का काम करेगी। फसल उत्पादन के बाद पूरा उत्पादन उसी भाव में कंपनी को खरीदना होगा, चाहे उसके बाद उत्पादन का भाव बढ़े या फिर घटे।
तीनों अध्यादेश विस्तार से अध्ययन करने के बाद इस बात की जानकारी देते हैं कि इन से किसानों को नुकसान नहीं होगा, बल्कि कारोबारियों को इसका खामियाजा उठाने के तौर पर प्रतियोगिता का सामना करना होगा।
हरियाणा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और किसानों का नेतृत्व कर रहे वामपंथी संगठन के द्वारा सरकार को बदनाम करने के लिए किसानों को बरगलाने का काम किया जा रहा है। कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान उनको आंदोलन में शामिल कर सरकार के खिलाफ उग्र होने के लिए बहकाया जा रहा है।