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पूरे देश में 6 साल पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद राजस्थान की राजधानी जयपुर में विकास के लिए कार्य करने वाला जयपुर विकास प्राधिकरण किसानों को नए कानून के तहत मुआवजा देने को तैयार नहीं है।
इसी को लेकर राजधानी के बिल्कुल पास सीकर रोड पर नींदड़ गांव में नींदड़ आवास योजना के तहत जेडीए द्वारा अधिग्रहित की गई 1350 बीघा जमीन पर किसान जमीन समाधि सत्याग्रह करने पर मजबूर हो गए हैं।
इसी सिलसिले में नेशनल दुनिया ने आज नींदड़ आवास योजना में किसानों का हाल जानने का प्रयास किया और यहां पर किसानों का नेतृत्व कर रहे जमीन समाधि सत्याग्रह में शामिल राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और कांग्रेस के नेता डॉ नगेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की। सारी बातचीत का ब्यौरा विस्तार से बताते हैं-
सवाल– क्या है यहां कि स्थिति, जेडीए की स्थिति क्या है, आप की डिमांड क्या है, जेडीए से कहां तक बात हुई है?
शेखावत-देखिए यह आंदोलन जमीन अवाप्ति के खिलाफ है यह आंदोलन पिछले 10 साल से चल रहा है, जिस दिन जयपुर विकास प्राधिकरण ने नोटिफिकेशन डाला तब से लेकर किसानों तक आंदोलन कर रहे हैं। लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, सरकार के हर व्यक्ति के पास आंदोलन के जेडीए के पास रखा, यूडीएच सेक्रेटरी के पास रखा, यूडीएच मिनिस्टर के पास अपना पक्ष रखा और मुख्यमंत्री के पास अपना पक्ष रखा। लेकिन इस रात तक कोई सुनवाई नहीं हुई है, 1350 बीघा जमीन की भूमिका है। जेडीए यहां पर आवासीय कॉलोनी बसाना चाहता है और यहां पर पहले से ही 18 कॉलोनियां बसी हुई हैं, उनको उजाड़ कर और नए लोगों को बताने की कि यह प्रक्रिया है, जिसका हम लोग पूरी तरीके से विरोध कर रहे हैं कि इन लोगों को उजड़ेंगे, नए लोगों को बताएंगे, यह कहां का न्याय?

सवाल-कितनी जमीन है और कितनी कॉलोनी है, कितने परिवार हैं प्रभावित है?
शेखावत– आंदोलन जमीन अवाप्ति के खिलाफ है और आंदोलन पिछले एक दशक से चल रहा है। जयपुर विकास प्राधिकरण ने नोटिफिकेशन निकाला, उस दिन से लेकर आज तक लगातार यहां के किसान आंदोलन करते हुए लोकतांत्रिक तरीके से हमने अपनी बात सरकार के हर व्यक्ति के पास रखी, जेडीसी के पास रखी, यूडीएच के पास रखी है। मुख्यमंत्री जी के समक्ष अपनी बात रखी है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। 1350 बीघा जमीन का मामला है, यहां पर हजारों की आबादी है। यह कहां का न्याय कितनी कॉलोनी, कितने परिवार हैं प्रभावित हैं, 1350 बीघा जमीन का मामला है और लगभग ढाई से तीन हजार के परिवार, इसका मतलब 10,000 से ज्यादा की आबादी से प्रभावित होने वाली है। 18 कॉलोनी बनी हुई है। उसके अलावा किसानों की अपनी जमीन है और सबसे बड़ी बात है कि देश में नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, और वह आज लागू नहीं हुआ, उसको लागू हुए 6 साल हो चुके हैं और वह भी कांग्रेस सरकार के द्वारा ही नया भूमि अधिग्रहण कानून जो है पुराने कानून में संशोधन करके लाया गया है। पुराने कानून में संशोधन क्यों है, वह इसलिए हुआ क्योंकि पुराना कानून किसानों के अधिकारों की रक्षा नहीं करता, तो जब किसानों के अधिकारों की पुराने कानून रक्षा नहीं करता है और उसके कारण से नया कराया गया तो हम यही कह रहे थे कि आप नए कानून के तहत हमारी जमीन अधिग्रहण क्यों नहीं कर रहे हैं? इस पुराने काले कानून से आप हमारी जमीन नहीं देना चाहते हैं।

सवाल-यहां के स्थानीय विधायक हैं नरपत सिंह राजवी, उनसे कोई बात हुई है, क्या खुद रहे हैं या समर्थन किया है?
शेखावत– विधायक जो हैं, वह पिछले 10 साल से यहां लगातार विधायक हैं। उनको इस बारे में सारा पता है और उन्होंने कितना सहयोग किया है या नहीं, यह किसान भी जानते हैं और वह खुद भी जानते हैं, पर हमारा तो उनसे भी निवेदन है, हमारा सरकार से भी निवेदन है कि किसानों की लोकतांत्रिक मांग को देखते हुए और वर्तमान में जो कानून इस देश में लागू है, उसके मुताबिक मुवावजा दिलवाएं, जिससे जमीन वाले किसानों के साथ जो अन्याय नहीं हो।

सवाल-आपने जमीन समाधि सत्याग्रह का पहले भी एक कार्यक्रम किया था, उसके बाद में जेडीए की तरफ से या गवर्नमेंट की तरफ से कोई फैसला, आखिरी बातचीत आपकी क्या हुई थी?
शेखावत-जेडीए जो कहता है वह करता नहीं, कभी हमारी गवर्नमेंट से बात हुई थी और गवर्नमेंट ने जेडीए के साथ जो बातचीत हमारी करवाई, उसमें यह तय हुआ था कि हम दोबारा से सर्वे करेंगे। इस जमीन का और सर्वे के आधार पर ही तय होगा कि कितनी आबादी प्रभावित हो रही है, उस आबादी का रोजगार का साधन क्या है, उनकी जीविका पर क्या फर्क पड़ेगा, किस तरीके से उनको मकान के कितने लोगों पर बात हुई थी। हमारे आंदोलन के कारण सरकार बैकफुट पर आ गई थी, जेडीए 2 साल से यहां कदम नहीं रख पाया। अब फिर से आप देखें पूरा विश्व में नए साल के जश्न मना रहा है और जीडीए गरीब किसानों की जमीन पर कब्जा करने के लिए 1 जनवरी को 2020 करने या गया है, तो हम भी 2020 के लिए तैयार हैं, जीडीए को एक इंच भी जमीन नहीं देने वाले।

सवाल-राजस्थान में संवेदनशील सरकार की जा रही है अशोक गहलोत की। आप से कांग्रेस के नजदीकी रहे हैं। क्या इरादा दिखता है सरकार का और मुख्यमंत्री से कोई बातचीत हुई हो या कोई उनकी तरफ से कोई मैसेज आया हो?
शेखावत– निश्चित रूप से मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं, किसानों की दर्द को वह समझते हैं, किसानों के प्रति उन्होंने बहुत काम इस देश में किया है। नई सरकार बनने के बाद 5 जनवरी 2019 को हमने उनको ज्ञापन दिया था इस मामले को लेकर। हमारे आंदोलन में भी उनका समर्थन में मिला था, तो मुझे पूरा विश्वास है कि वह किसानों की जायज मांग को समझेंगे और कांग्रेस पार्टी ने संशोधित करके नया कानून बनाया और मोदीजी से जिस तरीके से उन्होंने को संशोधित करने का प्रयास किया और कांग्रेस ने उसके ऊपर लगाने का काम किया तो निश्चित रूप से मैं उम्मीद करता हूं कि मुख्यमंत्री, कांग्रेस सरकार किसानों के आधार पर फैसला लेगी।

सवाल-यहां पर 1350 बीघा जमीन है और लग रहा है कि जेडीए लठा के दम पर कॉलोनी बसाना चाहता है, जबकि सांगानेर के पास सायपुरा गांव में बनी बस्ती को उजाड़ने के लिए नोटिस जारी हो चुके हैं, क्या प्रतिक्रिया है आपकी?
शेखावत-JDA का काम है जयपुर का विकास करना है, कॉलोनी बसाने काम नहीं है जीडीए का। आप देखिए मैं तो मुझे तो बहुत आश्चर्य होता कि पेपर में हैडलाइन आती है कि जेडीए जमीन से 3500 करोड़ रुपए कमाएगा। अरे गरीबों की, किसानों की जमीनें लेकर और लोकतंत्र में सरकार इस तरह से कमाई करेगी। सरकार यहां पर लोगों को कमाई देने के लिए, उनके ऊपर कमाने के लिए है, यह बड़ी बात है। बड़ा आश्चर्यजनक की बात है। यहां बगल में आप देखिए, 500 मीटर के दायरे में आज के 15 साल पहले से कई कॉलोनियां विकसित कर दी थी और वहां आजकल मकानों की जालियां टूटी हैं, जिन लोगों को प्लॉट मिले हैं, उन्होंने कोई मकान नहीं बनाया। जो मकान किसी ने बनाए हैं, उन मकानों के खिड़की दरवाजे तक लोग उतार कर ले गए और वहां पर अभी तक चार पांच से ज्यादा मर्डर हो चुके हैं। इतना सुनसान और जो है और जेडीए कमाई करने के लिए किसानों की जमीन लूटने के लिए और अपनी जेब भरने का काम कर रहा है। जीडीए का काम विकास नहीं रहा है। जयपुर में पानी नहीं है। पानी क्या लेकर पाकिस्तान पानी लेकर आएगा? आज बीकानेर में, जैसलमेर रेगिस्तान के अंदर नहर से पानी पहुंच गया, लेकिन जयपुर से सीकर के अंदर जयपुर जैसे जिले में आज नहर नहीं है यहां लगातार पानी का बुरा क्यों हो रहा है? इसके पीछे शासन चाहता है कि जमीन में पानी कम हो जाए, किसान खेती छोड़ दे और किसानों पर किसानों की जमीनों पर कब्जा कर लिया जाए।

सवाल-आप राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं, उच्च शिक्षित हैं। ऐसा क्या कारण रहा, क्या राजस्थान में सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं या सरकारी अफसर दोषी हैं?
शेखावत-अब किसी को दोष देना ठीक नहीं रहेगा, पर मैं यह कह रहा हूं कि आप जो भी हैं, अगर आज भी सरकार में बैठे हुए हमारे जनप्रतिनिधि, हमारे जो अधिकारी हैं, आज भी अगर वे इस बात को समझें 2013 में आप की जमीन का अवार्ड जारी किया, हमने 1 इंच जमीन आपको दिया नहीं, जनवरी 2014 में नया कानून आ गया। जब आपने दिया नहीं हमको, तो फिर क्यों नहीं करते आप नए कानून से भुगतान? आप तो किसानों की सरकार है, भाजपा सरकार किसानों के लिए थी, सब कहते हैं हम किसानों की सरकार हैं, किसानों के लिए हम सब कुछ करने को तैयार हैं। आप किसानों के मुद्दों को गंभीरता से लीजिए, मुख्यमंत्री से निवेदन है कि नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू कीजिए और उसके आधार पर निर्धारित अपनी जमीन लीजिये।

सवाल– नींदड़ आवास योजना में जो पीड़ित किसान हैं, उनका अब आखिरी फैसला क्या रहेगा?
शेखावत– जमीन में समाधि लेकर बैठ चुके हैं, आने वाले दिनों में और किसान बैठेगें, किसान महिलाएं बैठेंगी। यहां कॉलोनी वासी बैठेंगे। हमारा तो सरकार से यही प्रार्थना है कि हम यहां बैठे हैं तो जमीन लेकर ही उठाएंगे और न ही कानून की सरकार हमसे बात करती है तो हम उसका स्वागत करेंगे। मुझे उम्मीद है कि हमारी कांग्रेस की सरकार हमारे मुख्यमंत्री निश्चित रूप से इस बारे में सकारात्मक कदम उठाएंगे और हमारी मांगों के बारे में विचार करेंगे।

यह हैं डॉ नगेंद्र सिंह शेखावत, जिनका स्पष्ट तौर पर कहना है कि नींदड़ की जो आवास योजना में जेडीए जमीन ले रहा है, उसको नहीं दिया जाएगा। सरकार से बातचीत की जाएगी। सरकार को इसका समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए और इसी से इसका कोई समाधान होगा।